समकालीन कला में अपर्णा कौर और अनुपम सूद का अवदान : एक तुलनात्मक दृष्टि

लेखक
  • Prabhulal Gameti

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संकेत शब्द:
समकालीन कला, स्त्री-सशक्तिकरण, भावनात्मक, मानवीय मूल्य, संवेदनशीलता, आंतरिक प्रवृत्तिया, मानवाकृतियों, अभिव्यक्ति, पर्यावरण
सार

इस लेख में समकालीन भारतीय कला में अपर्णा कौर और अनुपम सूद के योगदान का तुलनात्मक अध्ययन प्रस्तुत किया गया है। दोनों कलाकारों ने स्त्री-अस्मिता, समाज और मानवीय संवेदनाओं को अपनी कला का केंद्र बनाया है। अपर्णा कौर (जन्म 1954, दिल्ली) आत्मदीक्षित कलाकार हैं। उनके कार्यों में साहित्यिक पृष्ठभूमि, सामाजिक सरोकार और मानवीय पीड़ा की झलक मिलती है। उन्होंने विभाजन, 1984 के दंगे, विधवाओं की स्थिति, महिलाओं की समस्याएँ, और पर्यावरण जैसे विषयों को चित्रित किया। उनके चित्रों की शैली सादगीपूर्ण है, जिसमें प्रतीकात्मकता और गहन भावबोध मिलता है। साथ ही अनुपम सूद (जन्म 1944, होशियारपुर) प्रशिक्षित कलाकार हैं और मुख्य रूप से प्रिंटमेकिंग (इंटाग्लियो, लिथोग्राफी, स्क्रीन प्रिंटिंग) में कार्य करती रही हैं। उनके विषय आत्मनिरीक्षणात्मक और स्त्री-केंद्रित हैं। उन्होंने मनुष्य की आंतरिक प्रवृत्तियों, सामाजिक रिश्तों और पर्यावरण संबंधी चिंताओं को अपने चित्रों का आधार बनाया। उनकी रचनाओं में तकनीकी परिपक्वता और अनुशासन दिखाई देता है। दोनों कलाकारों में कई समानताएँ भी हैं—दोनों ने समाज की विसंगतियों, स्त्री की स्थिति और पर्यावरणीय संकट को गहन संवेदनशीलता के साथ प्रस्तुत किया है। अंतर यह है कि अपर्णा का कथ्य अधिक प्रतीकात्मक और साहित्यिक प्रभाव वाला है, जबकि अनुपम का दृष्टिकोण अधिक आत्मविश्लेषणात्मक और तकनीकी रूप से परिपक्व है। निष्कर्षतः अपर्णा कौर और अनुपम सूद ने समकालीन भारतीय कला को स्त्री-दृष्टि से समृद्ध किया है। दोनों की कला में स्थानीय से लेकर वैश्विक सरोकार झलकते हैं और उन्होंने स्त्री-सशक्तीकरण, सामाजिक न्याय और मानवीय मूल्यों की पक्षधरता की है।

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प्रकाशित
2025-09-30
खंड
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How to Cite

समकालीन कला में अपर्णा कौर और अनुपम सूद का अवदान : एक तुलनात्मक दृष्टि. (2025). ART ORBIT, 1(03), 73-78. https://artorbit.in/index.php/ao/article/view/16