राजस्थान के दृश्य चित्रण में अलंकारिकता एवं प्रतीकात्मकता
- लेखक
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राजेश कुमार शर्मा
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- संकेत शब्द:
- राजस्थानी चित्रकला, अलंकारिकता, प्रतीकात्मकता, दृश्य चित्रण, भारतीय कला परंपरा
- सार
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प्रस्तुत शोध पत्र राजस्थान की दृश्य चित्रण परंपरा में अलंकारिकता एवं प्रतीकात्मकता का अध्ययन प्रस्तुत करता है । राजस्थान के स्वतंत्रतातोर दृश्य चित्रण के स्वरूप को समझने से पूर्व राजस्थान की प्राचीन दृश्य चित्रण परंपरा के महत्व को समझना आवश्यक है जो हमारी आधुनिक दृश्य चित्रण शैली का आधार है ।भारतीय कला परंपरा में चित्रकला का एक समृद्ध इतिहास रहा है, और राजस्थान की चित्रकला इस परंपरा की महत्वपूर्ण कड़ी है। इसमें केवल सौंदर्य ही नहीं, बल्कि धार्मिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक प्रतीक भी परिलक्षित होते हैं। शोध पत्र में मेवाड़, मारवाड़, बूंदी-कोटा, किशनगढ़, बीकानेर और शेखावाटी जैसी शैलियों का अध्ययन कर यह दिखाया गया है कि किस प्रकार कलाकारों ने दृश्य चित्रण को मात्र सजावटी परंपरा न बनाकर जीवन और संस्कृति के महत्व को दृश्य चित्रों में स्थान दिया है। इसी आधार पर राजस्थान के स्वतंत्रतात्त्तौर दृश्य चित्रकारों ने अपने चित्रण सौंदर्य में इसे साकार किया है इस अध्ययन से स्पष्ट होता है कि अलंकारिकता चित्रों को सौंदर्य और आकर्षण देती है, जबकि प्रतीकात्मकता उन्हें गहराई और अर्थ प्रदान करती है।
- Author Biography
- प्रकाशित
- 2025-09-30
- खंड
- Articles
- License
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